योगदा सत्संग आश्रम रांची ने मनाया अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस और नवागतों को योग-ध्यान के मूल सिद्धान्तों से परिचित कराया

18 जून, 2023, रविवार को नौवें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) के रांची आश्रम ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें 550 से भी अधिक लोगों ने भाग लिया, जिनमें से अनेक लोग पहली बार आये थे। कार्यक्रम में आगन्तुकों को योग-ध्यान के मूल सिद्धान्तों से परिचित कराया गया। वरिष्ठ वाईएसएस संन्यासी स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने “योग-ध्यान के माध्यम से आन्तरिक प्रशान्ति को खोज करना” विषय पर बोलते हुए सत्यान्वेषियों को आन्तरिक प्रशान्ति को खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो हम सब के अन्दर विद्यमान है।
इस शान्त आश्रम में एक रविवार को प्रातःकाल उत्साहपूर्ण ढंग से अनेक सत्यान्वेषियों को आकर्षित करते हुए, यह अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम श्री श्री परमहंस योगानन्द—वाईएसएस के संस्थापक और अत्यन्त लोकप्रिय पुस्तक योगी कथामृत के लेखक—के परिचय के साथ प्रारम्भ हुआ। स्वामी ईश्वरानन्दजी ने इस पुस्तक के विषय में कहा, “योगानन्दजी के जीवन वृत्तान्त ने सम्पूर्ण विश्व में लाखों लोगों के हृदय और मन को स्पर्श किया है, तथा असंख्य पाठकों को भारत के प्राचीन योग विज्ञान और ईश्वर-साक्षात्कार प्राप्त करने की वैज्ञानिक प्रणालियों से परिचित कराया है, जो वैश्विक सभ्यता के प्रति भारत का अद्वितीय एवं स्थायी योगदान है।”
“आदर्श-जीवन” क्रियायोग शिक्षाओं के विश्वव्यापी प्रसार में योगानन्दजी के योगदान के विषय में बात करते हुए स्वामीजी ने कहा, “श्री श्री परमहंस योगानन्दजी मानवीय परिस्थितियों और मानवजाति के सामने आने वाली चुनौतियों की गहरी समझ रखते थे और उनके हृदय में पीड़ित मानवजाति के प्रति गहरी सहानुभूति थी।” उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने संसार को एक व्यावहारिक पद्धति प्रदान की, जिसके अभ्यास से जीवन के सभी क्षेत्रों के आध्यात्मिक आकांक्षी शान्ति का अनुभव कर सकते हैं और आत्मसाक्षात्कार के अन्तिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।”
स्वामी ईश्वरानन्दजी ने सत्य की खोज करने वालों को आमन्त्रित किया कि वे वाईएसएस मार्ग द्वारा गृह-अध्ययन पाठमाला के माध्यम से प्रदान की जाने वाली इन क्रियायोग शिक्षाओं के विषय में वाईएसएस वेबसाइट के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
नवागन्तुकों को योग के माध्यम से अनुभव की जा सकने वाली शान्ति से परिचित कराने के लिए, स्वामीजी ने हिन्दी में एक निर्देशित ध्यान सत्र का संचालन किया, जिसमें सही मुद्रा का अभ्यास, प्रारम्भिक श्वसन व्यायाम, एक प्रतिज्ञापन और एक मानसदर्शन सम्मिलित था।
इस कार्यक्रम के यूट्यूब से सीधे प्रसारण के माध्यम से भी इस आध्यात्मिक संस्था के देशव्यापी आश्रमों, केन्द्रों और मण्डलियों से लगभग 2,500 लोगों ने भाग लिया।
योग के सही अर्थ को स्पष्ट करते हुए स्वामीजी ने श्रोताओं से कहा, “अधिकांश लोग सोचते हैं कि योग हठयोग तक ही सीमित है। परन्तु, योग का वास्तविक अर्थ है आत्मा और परमात्मा का मिलन। योगानन्दजी द्वारा सिखाए गए ध्यान के क्रियायोग मार्ग के द्वारा मानव चेतना आन्तरिक एकत्व की इस अवस्था को प्राप्त करती है। तथा इस मार्ग की नींव है वैज्ञानिक ध्यान का नियमित अभ्यास।” अधिक जानकारी के लिए : yssofindia.org

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