संजय रजक: बाइक शो रूम में पॉलिश करने से सांसद प्रतिनिधि बनने तक का सफर

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चास (बोकारो) के युवा उद्यमी और नेता संजय रजक आज पहचान के मोहताज नहीं है। वो आज जिस मुकाम पर है उसके पीछे लंबी कहानी और खास तौर पर उनकी अथक मेहनत है। इनके पिता हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड , टुंडू के अस्पताल में ड्राइवर थे, कंपनी किसी कारणवश बंद हुई, वी आर एस लेकर चास में परिवार संग बस गए। कुछ दिनों बाद वही पर एक अस्पताल में कार्य करने लगे। संजय कुल दो भाई है, मनोज और संजय, संजय छोटा है। शुरू से पढ़ाई में औसत रहे पर कोई काम दो तो लगन से जुट जाते और मेहनत से कभी घबराते नहीं थे। युवावस्था में ही संजय बोकारो में ही एक बाइक शो रूम में कार्य करने लगे। धीरे धीरे अनुभव हासिल किया। उस समय टेफलॉन पॉलिश का ट्रेंड था तो उसमें ही ज्यादा समय बिताया। फिर सेल करने में भी अपनी योग्यता दिखाई। उनके काम को देख शो रूम ऑनर ने उन्हें कैशियर का पद दिया। उसमें भी वो बहुत अच्छा प्रदर्शन किए। कई सालों के अनुभव के बाद उन्होंने खुद बाइक का छोटा शो रूम खोलने की हिम्मत की, और यह प्रयास उनका रंग लाया। काफी बैंक के चक्कर के बाद, लोन मिला और चास चंदनकियारी रोड में बजाज का शो रूम खोला, फिर कुछ समय बाद उनके बड़े भाई मनोज ने भी पेटरवार में एक शो रूम खोला और इस तरह कड़ी मेहनत करते हुए संजय ने खुद को स्थापित किया। काम धीरे धीरे बढ़ता रहा, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी, मृदुभाषी संजय इस दौरान दूसरे कार्यों, जैसे समाज सेवा और राजनीति में भी शामिल रहे। अपने वार्ड के समस्याओं को लेकर वो हमेशा मुखर रहते और उसके निराकरण हेतु तत्पर रहते।


चूंकि टुंडू में इनका बचपन बीता था तो बाघमारा के विधायक ढुलू महतो से इनका अच्छा परिचय था। उन्होंने इसमें कुछ तो देखा और फिर इसे टाइगर फोर्स से जोड़ा और जब भी बोकारो आते तो इनसे जरूर मिलते।
अपने व्यवसाय के कार्यों से जब भी समय मिलता बाघमारा आना जाना लगा रहता।
ढुलू महतो विधायक से जब सांसद बने तो भी वो संजय रजक को नहीं भुले। चास, चन्दनकियारी या बोकारो के हर तरह के कामों में वो संजय को याद करने लगे। संजय भी हर तरह से तत्पर रहा और कार्यों को संपादित भी किया। इसे देखते हुए पिछले महीने सांसद ने संजय को बोकारो जिला परिवहन विभाग का सांसद प्रतिनिधि मनोनीत किया।

संजय प्रतिनिधि बने या न बने पर वो समाज सेवा से नहीं पीछे हटने वाले, कही दुर्घटना हो, या बिजली, सड़क, पानी या अन्य विवाद हो वो जाते और अपने स्तर से सुलझा आते। वो चाहे जोधाडीह मोड में सड़क दुर्घटना हो, या फिर किसी गरीब के बेटी की शादी के लिए कोई आर्थिक मदद हो या फिर किसी गरीब के मृत्यु उपरांत उन्हें आर्थिक रूप से मदद करना हो। चास के कई ऐसे मुद्दों पर वो आवाज उठाए और लोगों को न्याय भी दिलाएं। चाहे वो कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में हो रहे घोर अनियमितता का मामला हो, सड़क पर घायलों को अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाना, या फिर समितियों को सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु गुप्त दान राशि देना हो।


कल 16 जून को ही वो सोलगीडीह, चास (बोकारो) के दिलीप कुमार जो कि एक पैर से विकलांग हैं और अपना जीवन यापन/ दिनचर्या व्यतीत करने में कठिनाइयो का सामना कर रहे, उनके लिए वो सांसद के पास जा कर एक तीन पहिया स्कूटी सांसद मद से देने के लिए आग्रह किए और सांसद ने आश्वासन भी दिया की जल्द से जल्द उनको तीन पहिया स्कूटी मिलेगा। ऐसे सैकड़ों उदाहरण है जहां संजय ने अपनी कार्य शैली, सुलभ उपलब्धता, और लगन से कम समय में ही प्रसिद्धि हासिल की है। वो अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के साथ ही सामाजिक व राजनीतिक कार्यों में लगातार बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे और क्षेत्र के युवाओं को प्रेरित भी कर रहे कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है, इससे न भागे बल्कि जिसमें भी आपकी रुचि हो आप उसमें मन लगाकर करते रहे, आप जरूर एक दिन सफल होंगे।

नोट: संजय रजक की उपरोक्त पूरी जीवनी वास्तविक है और लेखक उनके शिक्षक रहे है।

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