संस्कृत साहित्य में ज्ञान के सभी मूल तत्त्व निहित हैं: डाॅ० सुनील कुमार वर्णवाल

✍️ शेखर सुमन, देवघर

देवघर। संस्कृत भारती, झारखंड के द्वारा ऑनलाइन संस्कृत सम्भाषण वर्ग का शुभारम्भ 12 जुलाई को किया गया। इस सरल संस्कृत सम्भाषण वर्ग का उद्घाटन भारत सरकार के गृहमंत्रालय के संयुक्त सचिव डाॅ. सुनील कुमार वर्णवाल ने किया ।उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डाॅ .वर्णवाल ने कहा कि संस्कृत साहित्य में ज्ञान के सभी मूल तत्त्व निहित हैं। यह भाषा समाज को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा है। ज्ञान के सभी मूल तत्त्व को समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान अनिवार्य है।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डाॅ.चांद किरण सलूजा ने कहा कि राष्ट्रीय नई शिक्षानीति का निर्माण भारतीय ज्ञान-परंपरा की पृष्ठभूमि में किया गया है।अत: संस्कृत भाषा शिक्षण पर विशेष जोर दिया गया है।कार्यक्रम का शुभारंभ गौतम राजहंस के मंगलपाठ से हुआ। सरस्वती वंदना डाॅ० रुबी कुमारी ने किया। इसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत  दीपचांद कश्यप ने किया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. चन्द्रकांत शुक्ल ने की ।इस अवसर पर प्रान्ताध्यक्ष प्रो० ताराकांत शुक्ल, प्रान्तमंत्री दीपचांद कश्यप,  प्रशिक्षण प्रमुख डाॅ० चन्द्रमाधव सिंह, प्रान्त सह मंत्री पृथ्वीराज सिंह आदि उपस्थित थे। ऑनलाइन संस्कृत सम्भाषण वर्ग में 1548 लोगों पंजीकरण कराया है जिन्हें ग्यारह समूहों में बाँटकर विद्वान शिक्षकों के द्वारा सरल संस्कृत सम्भाषण सिखाया जा रहा है। प्रथम दिवस की कक्षा में गणेश वत्स, गौतम राजहंस,अजित नारायण पाण्डेय,उत्तम पाण्डेय,विवेकानंद पाण्डेय,विनय कुमार पाण्डेय, डाॅ० रुबी कुमारी, सूची कुमारी आदि शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं की महती भूमिका रही।

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