पैसों के अभाव में आदिम जनजाति की छात्रा रेणुका पहाड़िया स्नातक में नहीं ले पाई दाखिला, छूट गई पढ़ाई, अब कुणाल षाड़ंगी ने बढ़ाया मदद का हाथ

राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य संसाधनों का स्तर कितने निचले पायदान पर है इसके अनेक उदाहरण मिलेंगे। इन नाकामियों को सुधारने के वायदे लेकर सरकारें बदलती रहीं लेकिन गरीब और वंचित वर्ग जस का तस है। इनके उत्थान को लेकर होने वाले शासकीय फ़ैसले इतने ठोस और कड़े होते हैं कि ख़ुद सरकार द्वारा ही नहीं उठ पातें। कागजों और भाषणों में तो आदिम जनजाति समाज के संरक्षण और उत्थान को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएँ मिलेंगी लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही हैं। यह कितना शर्मनाक है न कि एक ओर अभिभावक और सरकारें बच्चों को हुनरमंद बनाने के लिए बड़े शैक्षणिक संस्थाओं से जोड़कर प्राइवेट ट्यूशन की भी व्यवस्था करने से परहेज़ नहीं करतें वहीं दूसरी ओर विलुप्त हो रही पहाड़िया जाति के संवर्धन को लेकर सरकार बिल्कुल भी चिंतित नहीं है।

बोड़ाम प्रखंड निवासी आदिम जनजाति वर्ग की छात्रा रेणुका पहाड़िया मात्र चंद पैसों के अभाव के कारण चांडिल कॉलेज में स्नातक में दाखिले से वंचित रह गई। कस्तूरबा विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई पूर्ण कर चुकी रेणुका मेधावी छात्रा है। कस्तूरबा गाँधी विद्यालय विद्यालय (पटमदा) से पढ़ाई करते हुए मैट्रिक और इंटरमीडिएट में क्रमशः वर्ष 2019 एवं 2021 में प्रथम डिवीज़न से उत्तीर्ण किया है। बोड़ाम से सटे चांडिल कॉलेज में इंग्लिश ऑनर्स संकाय से स्नातक की पढ़ाई पूर्ण करने की तमन्ना रखती थीं। लेकिन एडमिशन फ़ीस के मात्र दो हज़ार रुपये के अभाव में इस साल उनका यह सपना टूट गया। स्थानीय लोगों द्वारा यह मामला पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने स्वयं रविवार को रेणुका से भेंट किया। इससे पूर्व रेणुका की एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तैरती मिली जिसमें वो सरकार और लोगों से अपनी आगे की पढ़ाई को लेकर मदद करने का गुहार लगा रही है। इस मार्मिक अपील को सुनकर झारखंड के डायनेमिक और उच्च शिक्षित युवा नेता कुणाल षाड़ंगी ने मदद का हाथ बढ़ाया है। कुणाल के हस्तक्षेप पर कई संस्थाओं ने भी रेणुका पहाड़िया की उच्च शिक्षा को लेकर सहयोग का ऐलान किया। रविवार को रेणुका से मिलकर कुणाल षाड़ंगी ने नाम्या फाउंडेशन की ओर से ऐलान किया कि आगामी सत्र में रेणुका पहाड़िया का स्नातक (इंग्लिश ऑनर्स) में उनकी पसंद की कॉलेज में नामांकन कराया जायेगा। नामांकन से लेकर ट्यूशन फ़ीस इत्यादि का ख़र्च उनकी संस्था नाम्या फाउंडेशन वहन करेगी। इसके अतिरिक्त रेणुका में बेहतर संवाद के हुनर जागृत करने को लेकर नाम्या फाउंडेशन की ओर से स्पोकेन इंग्लिश और कम्युनिकेशन डेवलपमेंट सम्बंधित ऑनलाइन कोर्स भी निःशुल्क मुहैया कराई जायेगी। इधर कुणाल षाड़ंगी के आग्रह पर अमेरिकी एनजीओ लिली फाउंडेशन ने भी रेणुका पहाड़िया की मदद में दिलचस्पी दिखाई है। लिली फाउंडेशन की ओर से ऐलान हुआ कि स्नातक की पढ़ाई होने तक प्रत्येक महीने 2000/- (दो हज़ार रुपये) की प्रोत्साहन राशि स्कॉलरशिप के रूप में छात्रा को दी जायेगी। मौके पर कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य की गुणवत्तापूर्ण सुविधा मुहैया कराना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती हैं। लेकिन सरकार यदि बेसुध है तो समाज के सक्षम और जागरूक लोगों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे वित्तीय कठिनाईयों का कारण पढ़ाई से दूर हो रहे मेधावी बच्चों की ओर मदद का हाथ बढ़ाएं। कुणाल षाड़ंगी और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा उच्च शिक्षा को लेकर मदद का भरोसा मिलने पर रेणुका बेहद ख़ुश है। उन्होंने इस कवायद के लिए पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी और विभिन्न संस्थाओं के प्रति कृतज्ञता जताते हुए सरकार से अपील किया है कि उनकी ही तरह अनेकों युवक-युवतियाँ वित्तीय अड़चन के कारण पढ़ाई से दूर हो जाते हैं। इसको लेकर उचित प्रयास की जरूरत है। रेणुका से मिलने के दौरान कुणाल षाड़ंगी सहित गणेश महतो, सुकुमार प्रमाणिक, काशीनाथ सिंह, सागर सिंह, किशन पाहाड़िया, किर्तिक पाहाड़िया, संजय षड़ंगी, रंजित मंडल, मनोहर गोप सहित अन्य मौजूद थें।

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