राज्य उत्पाद विभाग उर्फ़ सिंडिकेट उर्फ़ तिवारी बंधुओं का अब एक ही नारा है: हुई महँगी बहुत शराब, थोड़ी-थोड़ी पिया करो- कुणाल षाडंगी

रांची : भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवम पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने आज प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता कर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया।

उन्होंने कहा कि राज्य उत्पाद विभाग उर्फ़ सिंडिकेट उर्फ़ तिवारी बंधुओं का अब एक ही नारा है, हुई महँगी बहुत शराब, थोड़ी-थोड़ी पिया करो।

कुणाल ने कहा कि राज्य में लगभग दो हजार करोड़ का मदिरा का थोक व्यवसाय चुने हुए निजी व्यवसायियो को सौंपने एवं पूरे मामले में हुए जालसाजी और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग भारतीय जनता पार्टी करती है।
उन्होंने आगे कहा कि ओडिशा, बंगाल, राजस्थान समेत कई राज्यों ने स्टेट बेवेरेज कारपोरेशन बनाया है। उसी तर्ज पर बने झारखण्ड स्टेट बेवेरेज लिमिटेड को आज निरर्थक बनाकर यहाँ कार्टल, भ्रष्टाचार एवं सिंडिकेट को स्थापित किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने झारखण्ड मदिरा के भण्डारण एवं थोक बिक्री नियमावली 2021 पेश किया है. लाइसेंसों के निपटान हेतु 11 जून को निकाले विज्ञापन में प्रत्येक जिले के लिए अलग-अलग नामों के माध्यम से एक आवेदन किया गया। सिंडिकेट द्वारा दायर 24 आवेदनों के अलावा 9 अन्य आवेदन भी किये गये, जो 25 लाख रूपये की भारी आवेदन राशि के नुकसान का जोखिम उठा सकते थे।.

कुणाल ने कहा कि विभाग द्वारा की गयी अंतिम प्रक्रिया यह साबित करती है कि सिंडीकेट के सदस्यों के लाइसेंस बेहद जल्दबाजी में जारी किये गए हैं एवं अन्य सभी आवेदनों को ख़ारिज कर दिया गया है। जिसके परिणामस्वरुप थोक व्यापार का पूरा कारोबार राज्य के नियंत्रण से गंभीर राजस्व नुक्सान की कीमत पर मुठ्ठी भर व्यक्तियों को सौंप दिया गया है।

लाइसेंस प्राप्त सभी सफल आवेदक द्वारा दिए गये बैंक के ज्यादातर विवरण पंजाब नेशनल बैंक जामताड़ा, भारतीय स्टेट बैंक मिहिजाम, या पंजाब नेशनल बैंक दुमका के हैं। ज्यादातर सफल आवेदक गोड्डा, जामताड़ा या दुमका जिलों से हैं और उनमें से कुछ रांची और धनबाद के होने के बावजूद उनके बैंक अकाउंट जामताड़ा या दुमका के हैं।

कुणाल ने कहा की स्पष्ट है कि आवेदक सिर्फ नाम के लिए अलग हैं लेकिन पूरा पैसा एक स्त्रोत के माध्यम से निवेश किया गया है। आवेदकों से सम्बंधित बैंकखातों के लेन-देन यह इंगित करते हैं कि एक आवेदक दूसरे से जुड़े हुए हैं और यह जानना मुश्किल है कैसे और किस स्त्रोत से वैध और प्रमाणिक या अवैध तरीके से राशियाँ जमा की गयी और त्वरित परिणाम में वापस भी ले ली गई। ज्यादातर सफल लाइसेंसधारी जामताड़ा और दुमका से हैं भले ही उनका पता किसी अन्य जिले का हो। अगर इस मामले की जाँच की जाए तो पूरी प्रक्रिया सुनियोजित मानी लॉन्ड्रिंग का बेहतरीन उदाहरण है।

उन्होंने आगे कहा कि एक्साइज एक्ट 2015 के अनुसार फी निर्धारण में किसी भी बदलाव को बिना रेवेन्यू बोर्ड के सहमति के कैबिनेट में जाने की अनुमति नहीं देता है लेकिन संथाल परगना सिंडिकेट के द्वारा इन सारे नियमों को ताक में रखकर एक ऐसा नियम बनवाया गया है जिससे राज्य में कुछ चहेतों की हाथों में ही शराब का थोक व्यापार का एकाधिकार बन सके।

वहीं राज्य में बिकने वाले हर शराब के बोतल पर 10-50 रूपये की वसूली सिंडिकेट कर रहा है जो रोजाना लगभग 75 लाख रूपये की है, जिसपर विभाग चुप है।

विभागीय वेबसाइट पर अब भी 2018-19 का ही रेट कार्ड है और किसी भी दुकान में रेट लिस्ट नहीं लगी है। इससे स्पष्ट है कि इसे विभागीय मौन सहमति है। एक्साइज पॉलिसी किसी भी तरह के एकाधिकारकी अनुमति नहीं देती क्योंकि राजस्व हानि के साथ-साथ व्यापारी कम गुणवत्ता वाले शराब की बिक्री के लिए भी कर सकते हैं,जिससे राज्य की जनता के स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इन तथ्यों के आलोक में यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार के संलिप्तता के बिना मनी लॉन्ड्रिंग, राज्य कर की चोरी और हवाला के जरिए पैसों के लेन-देन के माध्यम से किए गये इतने बड़े घोटाले को अंजाम नहीं दिया जा सकता।

कुणाल ने कहा कि पार्टी इस पूरे विषय की जाँच स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसियों से कराने की मांग करती है.

इसके साथ साथ झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन में कार्यरत दर्जनों ऑउटसोर्सिंग कर्मियों का जल्द समायोजन होना चाहिए। कोरोनाकाल में वे बेरोज़गारी के कगार पर हैं।

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