शराब की थोक बिक्री निजी हाथों में देने के झारखंड सरकार के निर्णय पर भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने पूछा: आखिर किन कारणों से आज सरकार को अपने तंत्र से ज्यादा चंद शराब माफियाओं पर ज्यादा भरोसा है?

राज्य में शराब की बिक्री और नियंत्रण हेतु बनाई गई झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन की शक्तियों को सीमित करते हुए, शिथिल करते हुए अब शराब की बिक्री एवं नियंत्रण का काम वर्तमान सरकार द्वारा निजी हाथों में दिया जा रहा।

इस प्रस्ताव को कल कैबिनेट ने स्वीकृति दी, पर राज्य सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दल भाजपा ने सवाल खड़े किए है। आज भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने वीडियो जारी कर कहा कि यह निर्णय साफ तौर पर बताता है कि आने वाले दिनों में माफियाओं के दबाव में सरकार काम करने वाली है और राज्य में “पोंटी चढ्ढा” के शराब बेचने या शराब को नियंत्रण करने के मॉडल को स्थापित करने की योजना बनाई है। कुणाल षाडंगी का मानना है कि इससे सीधे तौर पर कमीशनखोरी को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही निजी हाथों में देने का फैसले से सरकारी तंत्र के द्वारा राज्य की शराब की बिक्री व नियंत्रण से हट जाएगा।

भाजपा प्रवक्ता ने इसके कई नकारात्मक प्रभाव बताए है, जैसे
1. एक्साइज की चोरी बढ़ेगी।
2. कुछ ब्रांडो को ज्यादा बढ़ावा मिलेगा।
3. नकली शराब पर किस प्रकार सरकार नकेल कसेगी?
4. एक जिले से दूसरे जिले में माल घुसेगा तो इसे कैसे रोक पाएगी?
5. एक परमिट का कई बार इस्तेमाल हो सकता है।
जैसे कई अहम सवाल है जो सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिए।

आगे उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए कि आखिर किन कारणों से आज सरकार को अपने तंत्र से ज्यादा चंद शराब माफियाओं पर ज्यादा भरोसा है? इसलिए भारतीय जनता पार्टी इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग करती है ताकि राज्य की जनता के सामने यह सच सामने आना चाहिए कि आखिर इस व्यवस्था के आधार पर कितना ज्यादा रेवेन्यू लाने का राज्य सरकार योजना बना रही है? आने वाले वित्तीय वर्ष में यह सभी आंकड़े सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि राज्य की जनता के सामने सच्चाई स्थापित हो सके।

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