चिकित्सको व चिकित्सा कर्मियों के साथ आए दिन मारपीट और दुर्व्यवहार के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। कोरोना काल में इस तरह के मामले कुछ ज्यादा ही बढ़े हैं। इस तरह की घटनाओं के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आज राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाया, जिसमें देश भर के करीब 3.50 लाख से अधिक चिकित्सकों ने काला बिल्ला, काला मास्क एवं काले वस्त्र पहन कर अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया।
रांची आईएमए ने भी अपना विरोध जताया है, आज के विरोध का मुख्य मुद्दा था “सेव द सेवियर” अर्थात जीवन रक्षकों के जीवन की रक्षा हो उनके खिलाफ हिंसा की वारदातों पर अंकुश लगे। चिकित्सक समुदाय ने यह मांग रखी है कि राज्य एवं केंद्र के स्तर पर चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों के लिए एक विशेष कानून सीआरपीसी और आईपीसी से सुसज्जित बनाई जाए। चिकित्सा संस्थानों को सेफ जोन घोषित किया जाए और जब कभी यहां कोई ऐसी घटनाएं हो तो संस्थानों की आर्थिक नुकसान की भरपाई की भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। साथ में ऐसे मामलों का निष्पादन फास्ट ट्रैक कोर्ट के द्वारा सुनिश्चित की जाए जिससे चिकित्सक समुदाय में एक सुरक्षा का माहौल बने।
राज्य स्तर पर आइएमए 2007 से ही मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रही पर यह अभी तक लागू नहीं हो पाई है। आई एम ए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से पुनः आग्रह किया है कि इस एक्ट को अविलंब लागू करें क्योंकि पड़ोसी राज्यों जैसे बिहार बंगाल उड़ीसा छत्तीसगढ़ में यह एक्ट पहले से ही लागू है। इसके साथ ही आई एम ए के पदाधिकारियों ने मांग की है कि वैसे सारे चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मी जो सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में दिन-रात अपनी सेवा देते हुए शहीद एवं संक्रमित हुए उनको सरकार के द्वारा भी एकमुश्त मुआवजा राशि देने का जल्द से जल्द प्रावधान किया जाए ताकि इस कार्य क्षेत्र में लगे हुए चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मियों का मनोबल बना रहे। आज इस विरोध प्रदर्शन में आइएमए के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सचिव के साथ कई सदस्य मौजूद थे।
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