गरीबी, लाचारी, पेट पालने की जुगत में लाखों माता – पिता अपने बच्चों को सड़को पर ढाबों में, घरों में, दुकानों में, फैक्ट्रियों में, ईट भट्ठों में काम करवाने को मजबूर होते है। वो अपने कमाए पैसों से उन्हे रोटी, कपड़ा और छत दें कि उन्हें पढ़ाए ? गरीबी और बेरोजगारी में बच्चों से उनका बचपन छीन जाता है। सस्ते मजदूर तो बच्चे ही होते है सो लोग गरीब पिछड़े इलाको से विशेष रूप से आदमी भेज लड़के लड़कियों को बुलाते है और घरों में, दुकानों में काम करवाते है, और इसके एवज में सिर्फ उसका जीवन यापन लायक पैसा देते रहते है। हमारे आसपास ऐसे दर्जनों बच्चे मिल जाएंगे जो या तो कभी स्कूल गए ही नहीं या गए भी तो कुछ सालों बाद ही छोड़कर काम धंधे में लग गए क्योंकि उनके पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं होता है। वह या तो आपने माता पिता के साथ काम कर पैसा अर्जित करें, किसी प्रकार अपना घर चलाएं या तो पढ़ाई करें। वैसे कोई मां- बाप नहीं चाहता कि उसका बच्चा छोटे से ही मजदूरी करें, मेहनत करें। हर एक मां बाप चाहता है कि उसके बच्चे पढ़े लिखे और एक अच्छी जिंदगी जिए। वैसे जब से सरकारी स्कूलों में मिड डे मील मिल रहा तब से थोड़ी बहुत इसमें सुधार जरूर हुई है, ग्रामीण क्षेत्रों में या वैसे क्षेत्र जहां पर आज भी गरीबी और अज्ञानता है उन क्षेत्रों में भी लोग अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं कम से कम इसी लालच में कि उसे अच्छा पौष्टिक खाना मिलेगा और साथ में वह साक्षर भी होगा, पर इसकी राह अभी आसान नहीं है। सरकार को पंचायत स्तर पर यह सुनिश्चित करना होगा कि उस क्षेत्र में जितने भी निवासी हैं उनके बच्चे स्कूल जा रहे हैं कि नहीं? अगर नहीं जा रहे हैं तो इसके पीछे क्या वजह है? और उन वजहों को कैसे दूर किया जा सकता है। इस पर और ध्यान देने की जरूरत है तभी हमारा देश बालश्रम से मुक्त हो पाएगा और हमारे नन्हे-मुन्ने बच्चों के हाथों में हथौड़ी, छेनी या चाय के ग्लास के जगह किताबें और कलम होंगी और वह शिक्षित होकर एक सभ्य समाज बनाने में अपनी भूमिका अदा करेंगे।
“मैं तुम्हें अपना अशर्त प्रेम प्रदान करता हूँ,” अपने निर्मल प्रेम के इस शाश्वत वचन…
बाघमारा के भाजपा विधायक, कोयलांचल के युवाओं के चहेते, गरीबों की आवाज के नाम से…
सहस्राब्दियों से भारतवर्ष की पवित्र भूमि को अनेक महान् दिव्य आत्माओं के चरणों के स्पर्श…
लोग क्या कहेंगे? यह सोच कई लोगों की प्रगति में बाधा बनी है। आईएस रमेश…
“छोटी माँ, तुम्हारा पुत्र एक योगी बनेगा। एक आध्यात्मिक इंजन की भांति वह अनेक आत्माओं…
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:।।[अन्य सभी धर्मों (कर्तव्यों) का त्याग…