रांची: छठी इंद्रिया की क्षमता बढ़ोतरी के लिए झारखंड स्टेट टीचर कोऑर्डिनेटर सोनाली सिंह द्वारा सिद्धू कान्हू पार्क स्थित दी आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र में किशोरों व बच्चो के लिए प्रज्ञा योग कार्यशाला संपन्न।
अंतर्ज्ञान वह ज्ञान है जो भीतर से आता है, इसके विपरीत जो आप प्राप्त करते हैं, जिसके बारे में आपने सुना है या जिसे आप अपनी बुद्धि से अनुमान लगा सकते हैं। हम सभी ने अपने दैनिक जीवन में सहज ज्ञान युक्त क्षणों का अनुभव किया है। बच्चों के लिए, इस सहज आयाम से उनकी आंतरिक मन यानी छठी इंद्रीया को विकसित करना आसान हो जाता है। उनका दिमाग ताजा, कम जुनूनी और प्रकृति के अनुरूप अधिक होता है।
प्रज्ञा योग – अंतर्ज्ञान प्रक्रिया सरल अभ्यास और ध्यान के माध्यम से सहज क्षमताओं को विकसित करने का एक अनूठा तरीका है। कार्यक्रम बच्चों को तेज धारणा, सतर्कता, बेहतर सीखने के कौशल, निर्णय लेने के कौशल के साथ सशक्त बनाता है और अज्ञात के डर को दूर करता है। नियमित अभ्यास बच्चों को अपने दैनिक जीवन में अंतर्ज्ञान को विकसित करने और उपयोग करने, अध्ययन, प्रतिभा, संचार और रचनात्मकता को प्रभावित करने और सुधारने में मदद करता है।
कार्यशाला को सफल बनाने में टीएओएल झारखंड स्टेट चिल्ड्रन एंड टींस कोऑर्डिनेटर मयंक सिंह के साथ वॉलंटियर वंदना सिंह और प्रशिक्षक हर्षद वायेदा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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